आरज़ू है किसी को जिस्म की
चाहत है किसी को दिल्लगी की
पर है ना कोई शख्स ऐसा जिंदगी में
जो सो सोचे किसी की के मन की।
लगे हैं सभी अपनी ख्वाहिश बताने में
सोचा नहीं गुजरती है क्या आशियाने में
मतलब का फलसफा है ज़माने का
भरोसे का खून होता है नजदीकियां बढ़ाने में।
---------------------------कमला सिंह
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