Wednesday 21 August 2013

बेटियां

घर-घर की दुलारी होती हैं बेटियां 
दिल की प्यारी होती हैं बेटियां 

ज़ज्बातों से ये भोली होती हैं बड़ी 
मासूमियत से भरी होती है बेटियां 

गूंजती है तरन्नुम आँगन में इनसे 
शोख चुलबुलीऔर,प्यारी होती हैं बेटियां 

माँ-बाप को जान से प्यारी और न्यारी हैं 
मान-और सम्मान घर की होती हैं बेटियां 

भगवान् ने दिया है जो आँचल में मेरे
लाडली है मेरी ,जिंदगी होती है बेटियां 
-------------------कमला सिंह 'ज़ीनत' 
 

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