Wednesday 23 October 2013

स्याह रात को बदल दिया चिरागों की रौशनी तले उसने ज़ीनत 
जगमगा गयी जुगनुओं की भांति  जिंदगी भी मेरी 
------------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

हर एक लम्हें में दिया है निशानी 'उसने' ज़ीनत 
उतार कर खुद में उसको निखर गयी मैं भी 
-------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

बिछोह के धरोहर को समेट कर जो निकली ज़ीनत 
ताउम्र उन्हें  जिंदा रखने की अब एक जंग है 
-------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

No comments:

Post a Comment