Thursday 3 October 2013

ढल गया है आँचल किसी का,बिखर गया सा काजल है 
बढ़ रही हैं तन्हाईयाँ हर तरफ,मैला हुआ सा आँचल है
------------------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

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