Sunday 6 October 2013

हर ख्वाहिश में मुझे वो बुलाता था 
अपने हसरतों को रोज जगाता था 

इंतज़ार की घड़ियों को अपने 
दिन रात यूँ ही सजाता था 

अरमान अपने यादों के फकत 
चिरागों को जलाता था 

गुजरे वक़्त उन यादों को ज़ीनत 
लम्हे मुझमें बीताता था 

चाहता था क़तर दूँ पर वक़्त के 
पर नज़रें वो चुराता था 
------------कमला सिंह ज़ीनत 

1 comment:

  1. bahut sundar yahan bhi padharen..
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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