Sunday 3 November 2013

खामोशियाँ सिसकती ज़ीनत की शबे फुरकत में 
तन्हाईयों को भी अब मुझसे गिला है मेरे मौला 
-----------------------कमला सिंह ज़ीनत  

किस्से उसके इश्क़ के बड़े सुने थे ज़ीनत ने 
रंगीन है दिल का शायद वह ज़ालिम 
-------------------------कमला सिंह ज़ीनत 

दीवानगी की बात हर वक़्त करता है मुझसे 
जाने कैसा ये सिरफिरा आशिक है बेचारा 
----------------------कमला सिंह ज़ीनत 

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