Saturday 7 December 2013

ज़िक्र जब भी होता है उसका ज़ीनत 
मुहब्बत का इंकलाब ज़िंदा होता है 
------------कमला सिंह ज़ीनत 


हर आह पे भर आती हैं आँखे ज़ीनत की 
मुंतज़िर हैं आँखें उस ज़ालिम के वास्ते
--------कमला सिंह ज़ीनत    

No comments:

Post a Comment