Thursday 18 September 2014

एक अमृता और 
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ऐ मेरी जि़न्दगी के होने की दलील ऐ मेरी साँसों के जा़मिन ऐ मेरी धड़कनों के साज़ ऐ मेरी रुहानी मक़बरे के मुजा़विर ऐ मेरी पलकों की थिरकन ऐ मेरी दुआओं के खु़दा ऐ मेरी चुनरी के शीकन ऐ मेरी बेपनाही के सुकून ऐ मेरी सुर्मेदानी की तीली ऐ मेरी सदाओं की वादी ऐ मेरी रगों के उफा़न ऐ मेरी मस्ती के झूले ऐ मेरी चादर की खूशबू ऐ मेरी स्याह रातों के दीपक ऐ मेरी राहत के सामान ऐ मेरी खु़शी के पासबान ऐ मेरी ख़्वाहिशात के अतरदान सुनो मेरी ज़बानी मेरी दास्तान किस्सा बस यूँ है मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ ।
कमला सिंह 'ज़ीनत'

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