जिस्म में आग लगाकर वो ऊँची सीढी़ पर
तमाशबीनों की ताली पे मुस्कुराता है
ग़रीब आदमी दो वक्त़ की रोटी के लिये
सुलगते मौत के कुएँ में कूद जाता है
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'
तमाशबीनों की ताली पे मुस्कुराता है
ग़रीब आदमी दो वक्त़ की रोटी के लिये
सुलगते मौत के कुएँ में कूद जाता है
-----कमला सिंह 'ज़ीनत'
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