नया साल मुबारक
खु़दा नहीं हो खु़दादाद हो यही माना
करम के बाद भी होता है क्या नहीं जाना
गुज़रते वक्त़ ने कुछ ज़ख़्म गहरे छोडे़ हैं
मसीहा बन के 'नये साल' तुम चले आना
करम के बाद भी होता है क्या नहीं जाना
गुज़रते वक्त़ ने कुछ ज़ख़्म गहरे छोडे़ हैं
मसीहा बन के 'नये साल' तुम चले आना
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