तय मैं करुँगी
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इस रास्ते से गुज़रने वाला
हर साया
तुम सा ही लगता है
यह बात
मेरी आँखें कहती हैं
पर मैं नहीं मानती
बिना तुम्हें महसूस किये
अगर चापलूस आँखें मेरी
मुझे ना समझ भी कहती हैं
तो मंजू़र है मुझे
हर क़दम पर हर साये का
रंग और क़द बदलता है
यह आँखों को क्या पता
तभी तो हजा़र बीमारियाँ इन्हीं को हैं
तय मैं करुँगी
साये को देख कर ,महसूस कर
हर साया
तुम सा ही लगता है
यह बात
मेरी आँखें कहती हैं
पर मैं नहीं मानती
बिना तुम्हें महसूस किये
अगर चापलूस आँखें मेरी
मुझे ना समझ भी कहती हैं
तो मंजू़र है मुझे
हर क़दम पर हर साये का
रंग और क़द बदलता है
यह आँखों को क्या पता
तभी तो हजा़र बीमारियाँ इन्हीं को हैं
तय मैं करुँगी
साये को देख कर ,महसूस कर
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