Monday 1 June 2015

ग़रीबों का मौसम
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मैं लिख रही हूँ
अपना बचपन
अपनी ग़रीबी
अपनी बेबसी
बिन पंखे की गर्मी
बिन स्वेटर का जाडा
चूते खपरैल की बरसात
अमीरों के लिए इतने मौसम
ग़रीबों के लिए कुछ भी नहीं
भगवान दाम बता
मुझे ग़रीबों का मौसम खरीदना है ।
---कमला सिंह 'ज़ीनत'

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