Tuesday 23 June 2015

तुम्हारी यादों की कश्ती
लगी रहती है
दिल के टापू पर
धडकनों की हलचल से डगमगाती
तुम्हारी इस कश्ती की डोर थामे
पडी रहती हूँ मैं
आसरे की लहरों से
तुम्हारे होने की खुशबू
आंचल के गोटे से टकराती है
मझपे हाँ मुझपे
एक ज़माना गुज़र जाता है
जब - जब तू याद आता है
जब - जब तू याद आता है
कमला सिंह 'ज़ीनत'

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