Monday 8 June 2015

ग़ैरों में और तुममें 
क्या फर्क है बोलो 
कुछ भी नहीं, 
कुछ भी तो नहीं 
वो रुसवा कर गया 
सरे बाज़ार … 
और तुम  
तुमने हुस्न को इश्क़ की दुलहन बना  
तलाक़ दे दिया
 क्या फ़र्क़ है ? 
दोष किसका  ?
मेरा या फिर मुक़द्दर का ?
बोलो ना किसका  .... 
--- कमला सिंह 'ज़ीनत'

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