Thursday 18 February 2016

रुत हुए सुहाने देखिए , अब गुलों की बात कीजिए 
खुश्बूओं में हो बसर सहर,खुश्बूओं में रात कीजिए
------कमला सिंह "ज़ीनत "



एक शेर
इस तरह हादसे कुछ मेरे सहारे उतरे
जैसे प्यासा कोई दरिया के किनारे उतरे

एक शेर
खुशबू में बसा होगा गुलाबों में मिलेगा
आँखों में तलाशोगे तो ख़्वाबों में मिलेगा

No comments:

Post a Comment