Monday 30 January 2017

तुम   मेरे  आफ़ताब   ही   रहना 
एक   ताज़ा   गुलाब   ही   रहना 

तुझको   सर  आँख  पे  बैठाऊँगी 
बन  के  आली  जनाब  ही  रहना 

अपनी  आँखों  में  तुझको रखूंगी 
ख़्वाब  हो  तुम  ख़्वाब  ही  रहना 

सर्द  पड़   जाए  ना  ख़ुमार  कभी 
उम्र   भर  तुम  शराब  ही  रहना 

बंद  रखना  मुझे  क़यामत  तक 
दिल  की बस्ती का बाब  ही रहना 
  
गर    ज़माना    सवालकर   बैठे 
तुम   हमारा   जवाब  ही   रहना 

प्यास 'ज़ीनत' की बुझ न पाए कभी 
खुश्क  सहरा  सुराब   ही   रहना 
----कमल सिंह 'ज़ीनत'

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